बच्चों की अपनी दुनिया होती है.
उनकी दुनिया में प्रेम और सत्य का राज्य होता है.
बच्चों की दुनिया मैं आइये, इस राज्य मैं आप का स्वागत है.
आज के बच्चे कल एक उन्नत भारत का निर्माण करेंगे. क्या आप कह सकते हैं कि आप अपने बच्चों का आदर्श बन पाये हैं?
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तीर स्नेह-विश्वास का चलायें,
नफरत-हिंसा को मार गिराएँ।
हर्ष-उमंग के फूटें पटाखे,
विजयादशमी कुछ इस तरह मनाएँ।
बुराई पर अच्छाई की विजय के पावन-पर्व पर हम सब मिल कर अपने भीतर के रावण को मार गिरायें और विजयादशमी को सार्थक बनाएं।
राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर said... Thursday, October 09, 2008
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